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10वीं के बाद कौन सी स्ट्रीम चुनें?कौन सा विषय चुनें? 10वीं के बाद करियर का क्या विकल्प तलाशें?

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पढ़ाई सभी के लिए कितनी जरूरी है यह तो सब जानते हैं कोई पढ़ाई अपने अच्छे भविष्य के लिए करता है, कोई अच्छी नौकरी के लिए तो कोई अपनी ज्ञान को बढ़ाने के लिए करता है।।अभी तक स्कूल की पढ़ाई मौज-मस्ती और हंसी-मजाक में पूरी हो गई और अब बेहतर भविष्य की ओर ध्यान देना है। मझ नहीं आ रहा कि 10वीं के बाद क्या करें? साइंस स्ट्रीम, इंजीनियरिंग, चिकित्सा, प्रोद्योगिकी और अनुसन्धान, पायलट, वकील, अकाउंटेंट या इनके अतिरिक्त भाषा, साहित्य? ये वो घड़ी होती है जहाँ पर आने वाले पूरे जीवन, भविष्य के बारे में निर्णय लेना पड़ता है।सभी इस बात को लेकर अनिश्चित महसूस कर रहे होते हैं कि 10वीं के बाद कौन सी स्ट्रीम चुनें? अध्ययनों से पता चलता है कि बड़ी संख्या में छात्र गलत स्ट्रीम का चयन कर लेते हैं और बाद में अपने निर्णय को लेकर चिंतित रहते हैं।ऐसे कई कारण हैं जिनकी वजह से छात्रों को 10वीं कक्षा के बाद सही स्ट्रीम चुनने में कठिनाई हो सकती है। इसका एक कारण उनको अपनी शक्तियों और हितों की समझ कम होती है। किसी विशेष स्ट्रीम को चुनने के लिए माता-पिता, साथियों या समाज का दबाव भी भ्रम पैदा कर देता है।परंतु यह स्पष्ट है कि 10वीं के बाद सही करियर विकल्प चुनना एक सफल भविष्य के लिए महत्वपूर्ण है। गलत चुनाव करने के दीर्घकालिक परिणाम हो सकते हैं। दीर्घकालिक लक्ष्यों और आकांक्षाओं के अनुरूप ही स्ट्रीम से जुड़ना संभावित करियर पथों का पता बताता है।

साइंस स्ट्रीम को वह विद्यार्थी चुन सकते है जो पढ़ाई में काफी ज्यादा तेज हैं। यह विषय थोड़ा मुश्किल होता है।10वीं के बाद विषय चुनने के लिए पीसीएम और पीसीबी जैसे विकल्प होते हैं पीसीएम का मतलब है की इंजीनियरिंग या कंप्यूटर विज्ञान पसंद है तो भौतिकी, रसायन विज्ञान और गणित का अध्ययन करना पड़ेगा और पीसीबी का तत्पर्य है कि भौतिकी, रसायन विज्ञान और जीव विज्ञान के बारे में उत्सुकता है और चिकित्सा या जीवित चीजों में रुचि है। आवश्यक ज्ञान की गहराई को समझने के लिए अच्छा यह होता है की सीखने की शैली और क्षमताओं के साथ अनुकूलता सुनिश्चित करें और उस के लिये प्रत्येक स्ट्रीम के विभिन्न विषयों के पाठ्यक्रमों का अध्ययन करें। रुचियों को पहचानें सोचें कि क्या करना पसंद है इसका उपयोग विषयों को चुनने के लिए करें जो प्राथमिकताओं और रुचियों से मेल खाते हों।इसके साथ ही भविष्य के रुझानों पर भी विचार करना ठीक होता है। भविष्य में उभरने वाले रुझानों पर निगाह रखें, जानकारी रखें।विभिन्न उद्योगों में क्या नया और क्या बदल रहा है, उस पर भी नज़र रखें। इससे ऐसे सही विषय चुनने में मदद मिलेगी जो भविष्य में नौकरियों की मांग से मेल खाते हों, जिससे बेहतर करियर विकल्प मिलेंगे। इसके अतिरिक्त भविष्य के करियर पथ के बारे में जानकारी पूर्ण निर्णय लेने के लिए इस बात पर शोध करें कि किस स्ट्रीम में अधिक वेतन क्षमता है। अगर विज्ञान में रुचि है तो विज्ञान धारा में जाना अच्छा रहेगा इसमें कई विकल्प हैं जैसे एयरोस्पेस, प्रौद्योगिकी, चिकित्सा और कंप्यूटर में करियर।

10वीं के बाद छात्रों को कॉमर्स में बहुत ज्यादा रुचि नहीं हैं नहीं लेकिन इसमें बेहतरीन करियर विकल्प जरूर मिलते हैं। इस स्ट्रीम में खुद का बिजनेस शुरू कर सकते हैं और किसी भी कंपनी के लिए मैनेजर का काम कर सकते हैं। इसके अलावा बैंकिंग सेक्टर जॉब भी इस स्ट्रीम के बाद आसानी से मिल सकती हैं। 10वीं के बाद कॉमर्स की पढ़ाई करने वाले उम्मीदवारों के पास कई ग्रेजुएशन विकल्प होते हैं। CA , CS , MBA , HR आदि जैसे कई विकल्प खुल जाते है।कॉमर्स का अध्ययन करने का दूसरा बड़ा लाभ निवेश (इन्वेस्टमेंट) ज्ञान का हो जाना।निवेश कहाँ करना चाहिए अच्छी समझ आ जाती है।।कॉमर्स की पढ़ाई करने वाले ज्यादातर म्यूचुअल फंड, FD और शेयर बाजार का रुख भी कर लेते हैं।यदि संख्या और संख्यात्मक डेटा का विश्लेषण करने में गहरी रुचि है, तो कॉमर्स सबसे अच्छा विकल्प माना जाएगा।इसमें बिज़नेस एडमिनिस्ट्रेशन से लेकर फाइनेंस जैसे क्षेत्र में करियर के असीम विकल्प हैं। वित्त, व्यवसाय प्रबंधन और उद्यमिता जैसे क्षेत्रों में रुचि रखने वाले छात्रों के बीच वाणिज्य स्ट्रीम एक लोकप्रिय विकल्प हो सकता है।फाइनेंशियल एडवाइजर जैसी कई अन्य नौकरी भी मिल सकती है, सरकारी नौकरी भी मिल सकती हैं इसके अलावा एनिमेशन में सर्टिफिकेट, टैली में सर्टिफिकेट कोर्स, बैंकिंग में डिप्लोमा, जोखिम और बीमा में डिप्लोमा, कंप्यूटर एप्लीकेशन में डिप्लोमा, वित्तीय लेखांकन में उन्नत डिप्लोमा, ई-अकाउंटिंग कराधान में डिप्लोमा इत्यादि।

आर्ट्स स्ट्रीम चुनने से छात्रों को ट्यूशन या कोई क्लासें लेने की ज़रूरत भी नहीं पड़ती है।सबसे बड़ा फायदा यह है कि आर्ट्स के छात्र सिविल सर्विसेज जैसे IAS, IPS आदि के परीक्षा की तैयारी कर सकते हैं। ऐसा इसलिए कि आर्ट्स में से विषय सिविल सर्विसेज में से पूछे जाते हैं। आर्ट्स में विषय या कोर्स करने पर फीस भी कम रहती है।

इसके अतिरिक्त 10वीं के बाद आर्ट्स स्ट्रीम में भी अच्छे करियर विकल्प हैं:

आर्कयोलॉजी,लाइब्रेरी मैनेजमेंट,पॉलिटिकल साइंस, पॉप्युलेशन साइंस,एंथ्रोपोलॉजी,साइकोलॉजी, सोशियोलॉजी, सोशल वर्क, सिविल सर्विसेज, टीचिंग,हॉस्पिटैलिटी इंडस्ट्री,इंटीरियर डिजाइनिंग, कार्टोग्राफी, लिंग्विस्टिक्स, फाइन  आर्ट्स,इकोनॉमिस्ट, मास कम्युनिकेशन मीडिया,परफार्मिंग आर्ट्स,जियोग्राफर,फिलोसॉफी,फैशनडिजाइनिंग,हेरिटेजमैनेजमेंटरिसर्च, ट्रैवल और टूरिज्म इंडस्ट्री,हिस्टोरियन, राइटिंग, लॉ इत्यादि।

10वीं के बाद सर्टिफिकेट कोर्सेज भी कर सकते हैं जो मुख्यतःनिम्नलिखित हैः

एमएस ऑफिस में सर्टिफिकेट प्रोग्राम, प्रोग्रामिंग लैंग्वेज में सर्टिफिकेट कोर्स, वेब डिजाइनिंग में सर्टिफिकेट, एसईओ में सर्टिफिकेट, ग्राफिक डिजाइनिंग में सर्टिफिकेट, डिजिटल मार्केटिंग में सर्टिफिकेट, मोबाइल फोन रिपेयरिंग में सर्टिफिकेट, ऑफिस असिस्टेंट कम कंप्यूटर ऑपरेटर कोर्स में सर्टिफिकेट, वायरमैन कोर्स में सर्टिफिकेट, मोटर व्हीकल मैकेनिक कोर्स में सर्टिफिकेट, इलेक्ट्रीशियन कोर्स में सर्टिफिकेट।

कंप्यूटर हार्डवेयर और नेटवर्किंग- इसमें कंप्यूटर रिपेयरिंग, हार्डवेयरिंग, नेटवर्किंग के बारे में सिखाया जाता है।

इनके अलावा इंजीनियरिंग डिप्लोमा भी जॉइन कर सकते हैं: यह 3 वर्ष का होता है इस से किसी भी विद्यार्थी को किसी विशेष क्षेत्र में प्रशिक्षित करना होता है।

इंजीनियरिंग डिप्लोमा- यह 3 वर्ष का होता है। इसमें कंप्यूटर साइंस, केमिकल, मैकेनिकल, प्लास्टिक, इलेक्ट्रिकल, इलेक्ट्रॉनिक्स, सूचना प्रौद्योगिकी, खाद्य उत्पादन में शिल्प कौशल पाठ्यक्रम, डीजल मैकेनिक्स, डेंटल मैकेनिक्स, डेंटल हाइजिनिस्ट, कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग में डिप्लोमा आदि विषय पढ़ाए जाते हैं।

  नॉन इंजीनियरिंग डिप्लोमा– अगर रुचि टेक्निकल में नहीं है तो नॉन टेक्निकल डिप्लोमा कर सकते हैं। यह भी 3 वर्ष का होता है। इसमे फैशन डिजाइनिंग,कमर्शियल आर्ट, टेक्सटाइल्स होटल मैनेजमेंट, मीडिया आदि पढाये जाते हैं। इनमें भी डिप्लोमा कोर्सेज या सर्टिफिकेट कोर्सेज़ किया जा सकता है: एमएस ऑफिस में प्रोग्राम, प्रोग्रामिंग लैंग्वेज में सर्टिफिकेट कोर्स, वेब डिजाइनिंग में सर्टिफिकेट, एसईओ में सर्टिफिकेट, ग्राफिक डिजाइनिंग में सर्टिफिकेट, डिजिटल मार्केटिंग में सर्टिफिकेट, मोबाइल फोन रिपेयरिंग में सर्टिफिकेट, ऑफिस असिस्टेंट कम कंप्यूटर ऑपरेटर कोर्स में सर्टिफिकेट, वायरमैन कोर्स में सर्टिफिकेट, मोटर व्हीकल मैकेनिक कोर्स में सर्टिफिकेट, इलेक्ट्रीशियन कोर्स में सर्टिफिकेट इत्यादि।

अगर 10वीं के बाद मेडिकल फील्ड में जाना चाहते हैं तो दसवीं के बाद से ही इसकी तैयारी शुरू करनी होती है। मेडिकल में जाने के लिए 11वीं में साइंस स्ट्रीम लेकर बायोलॉजी पढ़नी होती हैं। बायोलॉजी मेडिकल का मुख्य विषय है। 12वीं पास करने के बाद मेडिकल के विभिन्न एंट्रेंस एग्जाम जैसे- NEET, JIPMER आदि के लिए आवेदन कर सकते हैं। बायोलॉजी ग्रुप में फिजिक्स, केमेस्ट्री, बायोलॉजी, हिन्दी और अंग्रेजी विषय होते हैं। बायोलॉजी, डॉक्टर (एलोपैथी, होम्योपैथी या आयुर्वेद) और हेल्थ सर्विसेज में करियर के दरवाजे खोलती है।

10वीं के बाद कई लोग सरकारी नौकरी पाने की कोशिश करते हैं।चाहे तो 10वीं के बाद भारतीय सेना , रेलवे , BSF आदि सरकारी नौकरी कर सकते हैं। सरकार द्वारा इन पदों की भर्ती के लिए हर साल परीक्षा होती है अखबार और इंटरनेट पर इसकी सूचना आती रहती है।

महासागर को नेविगेट करने के लिए आवश्यक तकनीक और उपकरण बनाना एक महत्वपूर्ण कार्य है। मरीन इंजीनियर के इस प्रकार के विषय का भी चुनाव कर सकते हैं।

10वीं के बाद वोकेशनल कोर्सेज में करियर कॉलेज, वोकेशनल स्कूल्स, ट्रेड स्कूल्स और कम्युनिटी कॉलेज में पढ़ाया जाता है। वोकेशनल क्लासें ज्यादातर कार्य आधारित कोर्सेज प्रदान करती हैं।वहीं ऐसे बहुत से मामले में वोकेशनल कोर्सेज में वो पोटेंशिअल होती हैं जो की बाद में स्किल्स, सर्टिफिकेट्स या एसोसिएट डिग्रियां प्राप्त करने के काबिल बना सकती हैं।वोकेशनल स्ट्रीम में ये विषय अधिकतर पढ़ाये जाते हैं : इंटीरियर डिजाइनिंग, अग्नि एवं सुरक्षा कानून, आभूषण डिजाइनिंग, फैशन डिजाइनिंग इत्यादि।

अगर 10वीं पास करने के बाद जल्दी नौकरी शुरू करना हैं तो निम्नलिखित अवसर भी उपलब्ध हैं:

ITI- इसमें कई विषय होते हैं जिसमें इलेक्ट्रीशियन, वेल्डर, फिटर, मोटर मैकेनिक, कंप्यूटर आदि प्रमुख हैं। यह 6 माह से लेकर 2 वर्ष तक के होते हैं।कंप्यूटर हार्डवेयर और नेटवर्किंग- इसमें कंप्यूटर रिपेयरिंग, हार्डवेयरिंग, नेटवर्किंग के बारे में सिखाया जाता है। 

साइंस स्ट्रीम में करियर विकल्प निम्नलिखित हैं:

मेडिकल साइंस,इंजीनियरिंग,एनाटोमी,एयरोस्पेस इंजीनियरिंग, फार्मास्यूटिकल्स, बायो केमिस्ट्री, केमिकल इंजीनियरिंग, सॉफ्टवेयर डिजाइन, बायोइन्फर्मेटिक्स, सिविल इंजीनियरिंग, फोरेंसिक साइंस, बायोमैकेनिक्स, कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग, सिरेमिक इंडस्ट्री, बायो स्टेटिस्टिक्स, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, प्लास्टिक इंडस्ट्री, बायोफिजिक्स, इंजीनियरिंग प्रबंधन, पेपर इंडस्ट्री, साइटोलॉजी, इंडस्ट्रियल इंजीनियरिंग शिक्षण, डेंटल साइंस, इंटीग्रेटेड इंजीनियरिंग, एग्रोकेमिस्ट्री, भ्रूण विज्ञान, मैटेरियल इंजीनियरिंग, खगोल विज्ञान, महामारी विज्ञान, मैकेनिकल इंजीनियरिंग,खाद्य प्रौद्योगिकी, जेनेटिक्स, मिलिट्री इंजीनियरिंग, मौसम विज्ञान, इम्युनोलॉजी,न्यूक्लियर इंजीनियरिंग,, फोटोनिक्स, माइक्रोबायोलॉजी, इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग, भूकंप विज्ञान, पैथोलॉजी, इलेक्ट्रॉनिक्स और संचार इंजीनियरिंग, जीवाश्म विज्ञान, फोटोबायोलॉजी, जियोटेक्निकल इंजीनियरिंग, भू-रसायन विज्ञान, इत्यादि।

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